Learning Sanskrit by fresh approach – Lesson 16
संस्कृत-भाषायाः नूतनाध्ययनस्य षोडशः पाठः ।
These lessons are for learning Sanskrit. But any learning is basically gaining knowledge. I should have had a सुभाषितम् on विद्या much earlier. There are a number of them. Here is one –
न चोरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी ।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् ॥
१ संधिविच्छेदान् कृत्वा सामासिक-शब्दानां पदानि सुस्पष्टतया दर्शयित्वा च –
न चोर-हार्यं न च राज-हार्यं न भ्रातृ-भाज्यं न च भार-कारी ।
व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्या-धनं सर्व-धन-प्रधानम् ॥
२ समासानाम् विग्रहाः
अनुक्र. | सामासिकशब्दः | मूलशब्दः | पूर्वपदम् | उत्तरपदम् | समास-विग्रहः | समासस्य प्रकारः | शब्दार्थः |
१ | चोरहार्यम् | चोरहार्य | चोर | हार्य | चोरेण हार्यम् | तृतीया-तत्पुरुषः | what can be stolen by a thief |
२ | राजहार्यम् | राजहार्य | राज | हार्य | राजेन (राज्ञा वा) हार्यम् | तृतीया-तत्पुरुषः | what can be taken away by the government |
३ | भ्रातृभाज्यम् | भ्रातृभाज्य | भ्रातृ | भाज्य | भ्रातृणा भाज्यम् | तृतीया-तत्पुरुषः | what is to be shared with brother |
४ | भारकारी | भारकारिन् | भार | कारिन् | भारं करोति इति | उपपद-तत्पुरुषः | what causes feeling of load |
५ | विद्याधनम् | विद्याधन | विद्या | धन | विद्या एव धनम् | कर्मधारयः | knowledge (itself as) wealth |
६ | सर्वधनप्रधानम् | ||||||
६.१ | सर्वधन | सर्वधन | सर्व | धन | सर्वाणि धनानि | कर्मधारयः | all (types of) wealth |
६.२ | सर्वधनप्रधानम् | सर्वधनप्रधान | सर्वधन | प्रधान | सर्वधनेषु प्रधानम् | सप्तमी-तत्पुरुषः | main among all types of wealth |
३ संज्ञानाम् विश्लेषणम्
अनुक्र. | संज्ञा | मूलसंज्ञा | संज्ञायाः प्रकारः | लिङगम् | विभक्तिः | वचनम् | शब्दार्थः |
१ | चोरहार्यम् | चोरहार्य | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | what can be stolen by a thief |
२ | चोरेण | चोर | सामान्यनाम | पु. | तृतीया | एक. | by a thief |
३ | हार्यम् | हार्य | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | what can be taken away |
४ | राजहार्यम् | राजहार्य | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | what can be taken away by a king |
५ | राजेन | राज | सामान्यनाम | पु. | तृतीया | एक. | by a king |
६ | राज्ञा | राजन् | सामान्यनाम | पु. | तृतीया | एक. | by a king |
७ | भ्रातृणा | भ्रातृ | सामान्यनाम | पु. | तृतीया | एक. | with brother |
८ | भाज्यम् | भाज्य | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | to be shared |
९ | भारकारी | भारकारिन् | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | what causes feeling of load |
१० | भारम् | भार | सामान्यनाम | पु. | द्वितीया | एक. | load |
११ | व्यये | व्यय | सामान्यनाम | पु. | सप्तमी | एक. | expense, spending |
१२ | कृते | कृत | (क. भू. धा.) विशेषणम् | पु. | सप्तमी | एक. | on being done |
१३ | विद्या | विद्या | सामान्यनाम | स्त्री. | प्रथमा | एक. | knowledge |
१४ | धनम् | धन | सामान्यनाम | नपुं. | प्रथमा | एक. | wealth |
१५ | सर्वाणि | सर्व | सर्वनाम | नपुं. | प्रथमा | बहु. | all |
१६ | धनानि | धन | सामान्यनाम | नपुं. | प्रथमा | बहु. | (types of) wealth |
सर्वधनेषु | सर्वधन | सामान्यनाम | नपुं. | सप्तमी | बहु. | among all types of wealth | |
प्रधानम् | प्रधान | विशेषणम् | नपुं. | प्रथमा | एक. | main |
४ क्रियापदानाम् धातुसाधितानाम् च विश्लेषणम्
अनुक्र. | क्रिया./धातुसा. | प्रकारः | तिङ्त- प्रत्ययः~ |
मूलधातुः | गणः | पदम् | पदमत्र | प्रयोजकः ? | प्रयोगः | कालः/अर्थः | पुरुषः | वचनम् | शब्दार्थः |
१ | हार्य *^ | धा. वि. | य | हृ | १ | उ. | – | आम् | कर्मणि | विध्यर्थ | एक. | to be taken away | |
२ | भाज्य *^ | धा. वि. | य | भज् | १ | उ | – | आम् | कर्मणि | विध्यर्थ | एक. | to be shared | |
३ | कृत * | धा. वि. | त | कृ | ८ | उ. | – | न | कर्मणि | भूत. | एक. | (when) done | |
४ | वर्धते | क्रियापदम् | वृध् | १ | आ. | आ. | न | कर्तरी | वर्त. | तृतीय. | एक. | grows | |
५ | (अस्ति) | क्रियापदम् | अस् | २ | प. | प. | न | कर्तरी | वर्त. | तृतीय. | एक. | is |
* As adjectives, these words are detailed in Table 3. Their detailing as धातुसाधितानि is here in Table 4.
^ I need to deliberate whether हार्य and भाज्य are प्रयोजक or कर्मणि or both (?)
~ A प्रत्ययः suffixed to a धातु is called as तिङ्त-प्रत्ययः
५ वाक्यविश्लेषणम्
अनुक्र. | क्रिया./ धातुसा. |
कर्तृपदस्य विस्तारः |
कर्तृपदम् | कर्म (१) |
कर्म (२) |
पूरकम् Compliment |
कथम् | कदा | किमर्थम् | कुत्र | इतराणि अव्ययानि |
प्रधानम्/ गौणम् |
सम्बन्धितः शब्दः |
कस्मिन् वाक्ये |
संबोधनम् |
१ | (अस्ति) | (विद्याधनम्) | चोरहार्यम् | न | प्रधानम् | ||||||||||
२ | (अस्ति) | (विद्याधनम्) | राजहार्यम् | न, च | प्रधानम् | ||||||||||
३ | (अस्ति) | (विद्याधनम्) | भ्रातृभाज्यम् | न | प्रधानम् | ||||||||||
४ | (अस्ति) | (विद्याधनम्) | भारकारी | न, च | प्रधानम् | ||||||||||
५ | कृते | व्यये | गौणम् (सति सप्तमी) |
वर्धते | ६ | ||||||||||
६ | वर्धते | (विद्याधनम्) | नित्यम् | एव | प्रधानम् | ||||||||||
७ | (अस्ति) | विद्याधनम् | सर्वधनप्रधानम् | प्रधानम् |
६ अन्वयः
(विद्याधनम्) चोर-हार्यं न (अस्ति) ।(विद्याधनम्) राज-हार्यं च न (अस्ति) ।(विद्याधनम्) भ्रातृ-भाज्यं न (अस्ति) ।(विद्याधनम्) भार-कारी च न (अस्ति) ।व्यये कृते (अपि) (विद्याधनम्) नित्यं वर्धते एव ।विद्या-धनं सर्व-धन-प्रधानम् (अस्ति) ।
७ अनुवादः
Wealth of knowledge cannot be stolen by a thief nor can it be taken away by any government.This wealth is not (required) to be shared with a brother.It does not become a load to be carried. (it is not a burdensome wealth.)(It has the curious quality that), it grows by spending.Among all types of wealth, it is the main wealth.
शुभमस्तु ।
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भवतः कार्यमिदमतिश्लाघनीयम् । शुभास्ते पन्थानः सन्तु….